www kya hota hai

WWW क्या है और कार्य कैसे करता है 

इंटरनेट जगत मे क्रांति लाने वाला वेब

एक दिन मेरा छोटा भाई आया और मुझसे पूछा “भैया ये साइट मे www क्यों लिखा रहता है?” सवाल तो वाजिब था उसका और कहीं ना कहीं आपके में मन भी आया होगा। इसके साथ ही साथ बहुत सारी चीज़े जानेंगे जैसे की WWW क्या है और कार्य कैसे करता है, और क्या ज़रूरत पड़ी www का, तो चलिए सबकुछ हिंदी में www की दुनिया से www के बारे में जानते हैं।  

www क्या होता है?

WWW का फूल फॉर्म World Wide Web होता है। आज इंटरनेट आम जीवन का एक खास हिस्सा बन चुका है, आज आपको इंटरनेट के बिना रहने के लिए बोल दिया जाए तो आप कुछ पल भी नहीं रह पाएँगे, वकायी में ये सच है और आज जितनी आसानी से चीज़े इंटरनेट पर हमें मिल जाती है इसके इसके बारे में कभी कल्पना भी नहीं कर सकते थे और आज से कुछ वर्ष पहले ये सब कुछ इतना आसान नहीं था, तभी आया www यानी की वर्ल्ड वाइड वेब।

WWW एक प्रकार से web pages का समुच्चय (set) है जिसका इस्तेमाल हम इंटरनेट के माध्यम से कर सकते है। अगर ये कहा जाए की ये एक प्रकार का सूचनाओ का संग्रह है तो गलत नहीं होगा। टेक्स्ट, औडियो, विडिओ और डॉक्युमेंट्स हाइपरलिंक का उपयोग करके इनकी जानकारी हम तक पहुचाते है।

जब हम जानकारी के लिए कोई keyword या वाक्यांश टाइप करते है तब www हाइपर्टेक्स्ट के माध्यम से समझ कर उसे हमारे समक्ष लाता है। 

आप जो अभी ये पोस्ट पढ़ रहे हैं वो भी www के माध्यम से ही निकल कर के आया है। 

www का इतिहास 

एक बार टीम बर्नर्स अपने टीम के सदस्यों के साथ काम कर रहे थे तभी उनको एक कंप्यूटर के डाटा को किसी दूसरे कंप्यूटर में पहुंचाना था, ऑफ़्लाइन तो यह सम्भव था की किसी डिस्क के माध्यम से हो सकता था लेकिन अगर कहिन दूसरे जगह जो काफ़ी दूर हो पहुँचना रहे तो कैसे पहुँचाएँगे, इसी दौरान टिम को एक खास तरह का आइडिया सूझा, उन्होंने सोचा कोई तो ऐसा खास तरीका होना चाहिए, जिसकी मदद से सारे डाटा को एक साथ पिरोया जा सके, और इसी के बाद WWW की शुरुआत हुई।

WWW की शुरुआत टीम बर्नर्स के द्वारा सन् 1989 में की गई। सन् 1990 ईस्वी में CERN भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला में टीम बर्नस ली द्वारा इसे बनाया गया।1991 ईस्वी में पहला वेब ब्राउज़र विकसित हुआ।1993 ई में मोजैक वेब ब्राउज़र के विकसित होने से इसके लोकप्रियता में काफी वृद्धि हुई। हालांकि 1990ई. तक इसके लगभग एक लाख यूजर हो चुके थे। वेब वेब ब्राउज़र में सबसे अधिक प्रसिद्ध होने वाला मोज़िला फायरफॉक्स था जो 2004 में आया था। इसकी खासियत थी कि स्पीडिंग और प्राइवेसी की सुविधा प्रदान करता था। 

सन् 2008 में गूगल द्वारा क्रोम ब्राउज़र डेवलप किया गया, जो की 2013 तक बहुत फेमस हो गया जो आज भी हमलोग प्रयोग करते हैं इसमें अलग-अलग टैब होने की वजह से काम रुकता नहीं हैं।

वेब 2.0 जहां सोशल मीडिया और यूजर जेनरेटेड कंटेन्ट प्रदान किया है वही वेब 3.0 ने ए. आई. और ब्लॉकचैन  जैसी तकनीकी शामिल कर दिया है |

www के घटक 

वेब कैसे काम करता है इसकी जानकारी होने से पहले उसके घटकों की जानकारी प्राप्त कर लेना बेहतर है जिनकी सहायता से यह कार्य करता है। 

1. वेबसाइट एवं वेब पेज- www के अंतर्गत बहुत से वेब पेज को मिलाकर एक वेबसाइट बनाई जाती है जिसमें सारे के सारे पेज एक दूसरे से हाइपरलिंक (लिंक) के द्वारा जुड़े होते हैं। सभी जानकारी को वेब ब्राउज़र द्वारा प्राप्त किया जाता है। वेबपेजेज के अंतर्गत केवल टेक्स्ट अपितु ऑडियो, वीडियो, मल्टीमीडिया, लिंक, टेबल्स, इमेज, एचटीएमएल आदि चीजे शामिल रहती है। जैसे http://sabkuchhindime.in/ एक वेबसाइट है और आप www के माध्यम से ही इसे प्रयोग कर के आप ये पोस्ट पढ़ पा रहे हैं।

2. हाइपरलिंक– इसके द्वारा किसी एक वेबपेज से दूसरे वेबपेज पर पहुंचा जा सकता है। यहां पर आपको ऑडियो, वीडियो, टेक्स्ट, इमेज को भी हाइपरलिंक के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि आप किसी वीडियो पर क्लिक करते हैं और किसी वेब पेज पर इसके द्वारा जाकर कोई जानकारी प्राप्त करते हैं तो यह एक प्रकार का हाइपरलिंक है।

3. HTML– इसका पूरा नाम हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज है। इसकी सहायता से वेब पेज को डिजाइन किया जाता है।

4. वेब सर्वर– इसके अंतर्गत बहुत से फाइलों को वेबसाइट के अंतर्गत स्टोर करके रखा जाता है। उपयोगकर्ता के द्वारा अनुरोध करने पर उसके ब्राउज़र तक इन फाइल को पहुंचा दिया जाता है। यह न सिर्फ फाइल्स को मैनेज करता है बल्कि ट्रैफिक को कंट्रोल करने का भी काम करता है। वेब सर्वर के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ कलीक करें

5. URLUNIFORM Resource Locator जैसा नाम से ही प्रतीत होता है कि रिसोर्स को लोकेट करने वाला होगा।

यह वह है जिसे आप किसी ऑनलाइन संसाधन तक पहुंचने के लिए अपने ब्राउज़र के एड्रेस बार में टाइप करते हैं।

इसकी मदद से वेब पेज एवं वेबसाइट या फाइल तक पहुंचा जा सकता है। इसे हमलोग Web एड्रेस भी बोलते हैं।

इसके तीन भाग होते हैं – http प्रोटोकोल के रूप में डोमेन नाम और सोर्स पथ। 

6. वेब ब्राउज़र – वेब पर लिखी कोई भी जानकारी एचटीएमएल में लिखी होती है। साधारणतः देखने पर हमें बिल्कुल भी समझ में नहीं आएगा क्योंकि ब्राउज़र ग्राफिकल इंटरफ्रेंस प्रदान करता है इसलिए इसकी आवश्यकता होती है।

7. HTTPHypertext transfer protocol इसका उपयोग वेब सर्वर और ब्राउजर के मध्य डाटा का स्थानांतरण करने के लिए कीया जाता है। HTTPS एक secured रूप है जो सामान्यतः HTTP को गोपनीयता एवं सुरक्षा प्रदान करता है।

8. सर्च इंजन – सर्च इंजन वेब सामग्री को उपयोगकर्ता की खोज के योग्य बनाने के लिए क्रमवार लगाते हैं। इसके लिए  एल्गोरिथम प्रयोग किया जाता है। जिससे कि उसे अधिक प्रासंगिक और कुशल जानकारी प्राप्त हो सके। 

www काम कैसे करता है?

Step 1– जब हम वेब ब्राउज़र में domain name या यूआरएल सर्च करते हैं तब डोमेन नेम सिस्टम (DNS) इसे आईपी address मे बदल देता है। कोई भी डोमेन नाम किसी ना किसी IP से जुड़ा हुआ होता है, बिना उसके आपका डोमेन काम ही नहीं करेगा। जैसे http://sabkuchhindime.in/ एक डोमेन नाम है जो की एक वेबसाइट का है और ये किसी ना किसी IP से भी जुड़ा हुआ है।

Step 2- ब्राउजर http के डोमेन address से संपर्क करता है तथा उसे खोजने का अनुरोध करता है।

Step 3- इसके बाद http एवं https जो की इनके अपने नियम के अनुसार ब्राउजर और सर्वर के बीच डेटा का ट्रान्स्फ़र  होता है।

Step 4– जिससे आईपी address मैच हो जाने पर web browser मे आपको डेटा यानी की जो इन्फ़र्मेशन आपने सर्च किया था वो आपको दिखता है। 

www के प्रकार –

1. Surface वेब– वेब का ऐसा भाग जो सभी सामान्य लोगों के द्वारा गूगल क्रोम, यूट्यूब, फेसबुक, विकिपीडिया सोशल मीडिया आज जैसे चीजों को देखा जा सकता है। सामान्यतः ऐसा कहा जाता है की जो सारी चीजें हमारी पहुँच मे आसानी से आ जाती है वो सरफेस वेब के अंतर्गत आती हैं।

2. Intranet– इसका उपयोग आंतरिक उपयोग के लिए किया जाता है।

3. Deep वेब– इसके अंतर्गत कोई भी जानकारी आसानी से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसमें फाइनेंशियल डिटेल्स, रिसर्च पेपर, अंतरिक्ष अनुसंधान और सेक्रेट डॉक्यूमेंट जैसे बहुत से दस्तावेज रखे होते हैं और यहां की प्राइवेसी सिक्योरिटी उच्चतम दर्जे की होती है।

4. Dark web– अनैतिक कार्यों के लिए किया जाता है जैसे ड्रग्स, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, डेबिट कार्ड से डिटेल्स, लाइव मर्डर, बायोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट, साइबर क्राइम, जैसे अनैतिक काम होते हैं। इसका उसे करना गैरकानूनी है। 

निष्कर्ष 

इस प्रकार हम देखते है की वेब की वजह से समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। जिसकी वजह से हम किसी भी विषय में एक गहन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

हालांकि इसके फायदे के साथ काफी नुकसान भी है जैसे धोखाधड़ी, गलत सूचनाओ का आदान-प्रदान के साथ साथ ड्रग्स, चोरी के सामान, अवैध हथियार जैसे भी काम होते है। 

अगर इसे सावधानी एवं नैतिक मूल्यों के साथ उपयोग किया जाय तो इसका कोई जवाब नहीं। 

कृपया उनकी मदद के लिए इस पोस्ट को उनलोगों तक ज़रूर पहुचाएँ जससे की उनकी ज्ञान मैं वृधि हो सके और अच्छे से समझ सकें। मुझे भी आप सब की सहयोग की बहुत आवश्यकता है जिससे कि कम्प्यूटर और इंटेरनेट से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी हिंदी में आप सब तक पहुँचा सकूँ।

इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद भी अगर किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे कॉमेंट में बेझिझक पूछ सकते हैं। मैं जरुर उन Doubts को विस्तृत मैं आपको बताने की कोशिश करूँगा।

इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ने के लिए और लोगों तक पहुँचाने के लिए धन्यवाद!!

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