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कंप्युटर वायरस क्या होता है?

कंप्युटर वायरस आधुनिक समय मे इंटेरनेट की घातक समस्या 

Virus नाम सुनते ही हम किसी महामारी जैसी या फिर कहें ज्यादा सावधान वाला भाव उमड़ पड़ता है। खैर आज हम जिस वायरस की बात करने जा रहे , वो biological ना होके बल्कि टेक्निकल फील्ड से संबंध रखता है, जिसे कंप्युटर वायरस कहते है। आपने इसके बारे मे सुना तो होगा ही, आज हम इस पोस्ट में जानेंगे की कंप्युटर वायरस क्या होता है?, कितने प्रकार के होते है, कैसे आपके कम्प्यूटर और मोबाइल से चीजें चुराता है और कैसे वाइरस से बचा जा सकता है?

VIRUS जिसका फूल फॉर्म Vital Information resources under siege होता है। कंप्युटर वायरस एक प्रकार का हानिकारक प्रोग्राम या प्रोग्राम का एक सेट होता है जो आपकी कंप्युटर सिस्टम मे बिना आपकी जानकारी के घुस के आपके फाइल को खराब या बंद के साथ ही साथ महत्वपूर्ण फ़ाइलें चुरा लेता है। ये अपने आप को दोहरा कर के साथ-साथ अपने रूप को बदल कर प्रोग्राम मे प्रवेश कर जाते है। ये वायरस अक्सर फाइल्स या नेटवर्क के द्वारा फैलकर सिस्टम को क्षति एवं सुरक्षा मे सेंध लगाते हैं। 

कंप्युटर वायरस का इतिहास 

अगर हम बात करें इसके इतिहास के बारे मे तो सर्वप्रथम बनने वाला वायरस ‘the creeper’ था, जिसे सन् 1971 मे Bob thomas ने बनाया था। 

1980 के दशक तक तो लोग कंप्युटर वायरस के बारे मे विश्वास नहीं करते थे की ऐसा भी कुछ होता है। 1983 ई. मे फ़्रेडकोहेन ने कंप्युटर वायरस की खोज की | 

बात करें आधुनिक वायरस की तो उसका नाम C-brain है जिसे अमजद तथा बसित नाम के दो पाकिस्तानी ने बनाया है।

जबकि सबसे खतरनाक वायरस की तो उसका नाम ‘मायडूम वायरस’ जो 2004 मे आया था और जिसकी वजह से लगभग 38 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। इसका दूसरा नाम नॉवार्ग था, यह ईमेल के द्वारा किसी के सिस्टम में प्रवेश करता था।

कंप्युटर वायरस के प्रकार 

कम्प्यूटर वायरस के कुछ सामान्य प्रकार निम्न हैं।

1. Boot sector virus– इस प्रकार के वायरस कंप्युटर सिस्टम ऑन करने पर ऑपरेटिंग सिस्टम को ख़राब करते हैं, और यह हार्ड डिस्क मे कुछ कोड दल देते हैं जिस्सए की कंप्युटर को चालू करते ही सारी मेमोरी चला जाता है और सारे फ़ाइलस डिलीट हो जाते हैं।

2. Trojan horse- ये एक प्रकार का मालवेर है, ये अपने आप नहीं फैलता जब इसे activate या run किया जाता है तब ये ऐक्टिव होता है। ये वायरस आपके सिस्टम/मोबाइल में भेजकर इंस्टॉल करवाया जाता है, उसका माध्यम कुछ भी सकता है जैसे कोई फ़ाइल, कोई ऐप्लिकेशन, कोई सेटप या और भी तरीक़े हो सकते हैं। एक बार जब ये इंस्टॉल हो गया फिर सारी डाटा को दूसरे के पास भेज भी सकता है सारे डिलीट भी कर सकता देता है।

3. Resident virus– इससे किसी भी कंप्युटर का ऑपरेटिंग सिस्टम फाइल एवं प्रोग्राम प्रभावित होता है। रेसीडेंट वायरस प्राइमेरी मेमोरी (RAM) में पाए जाते हैं जिसमे सभी फाइल को ख़राब करने की क्षमता होती है।

4. Macro virus– मैक्रो वायरस स्प्रेड्शीट फाइल को corrupt करते हैं। और ज़्यादातर ये ईमेल के द्वारा आते हैं मतलब ये माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के लिए बहुत ही हनिकराक होता है।

5.  Multipartite virus– मल्टीपैरटाइट वायरस कई तरीकों से कंप्युटर को संक्रमित करता है। वैसे ये सामान्यतः कंप्युटर मेमोरी से होते हुए boot sector एवं executable files दोनों पर हमला करता है। ऑपरेटिंग फाइल को इंफेक्ट करता है।

6. File infector virus-  फाइल इंफेक्टर वायरस ये . exe और .com जैसी फाइल्स को संक्रमित करता है। इसका सोर्स गेम और वर्ड प्रोसेसिंग माना जाता है |

7. Overwrite virus– overwrite वायरस बहुत ही खतरनाक वायरस है। यह किसी भी डेटा को डिलीट कर सकता है एवं किसी भी फाइल को replace कर देता है। और इसका solution फिर फाइल को डिलीट या हटा के ही किया जाता है। यह windows, dos एवं एप्पल जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम को प्रभावित कर सकता है।

8. Polymorphic virusPoly का मतलब होता है ‘कई’ और morphic का मतलब होत है ‘रूप’। ये हमेशा अपने आप को बदलता रहता है, इसलिए इसको पहचान पाना मुश्किल होता है। यह वेबसाईट के द्वारा आपके सिस्टम या मोबाइल में आता है और फ़ाइल्स को खराब कर देता है।

9. Spacefiller virus – spacefiller वायरस आपके कंप्युटर का स्पेस ले लेता है और आपको पता भी नहीं चलता जबकि इसका इसका प्रभाव भी किसी फाइल या डेटा पर नहीं पड़ता।

कंप्युटर मे वायरस कैसे आता है? 

1. अनुपयोगी फाइल डाउनलोड से करने से हमेशा malware का खतरा बना रहता है।

2. किसी ऐसे दूसरे कंप्युटर मे कनेक्ट करने से यदि उसमे वायरस है तो वो आपके भी कंप्युटर मे आ सकता है।

3. Pirated वेबसाइट से सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने से भी  हम वायरस को आने का न्योता देते देते हैं। 

4. इंटरनेट से आजकल वायरस आना काफी कॉमन है।

5. डाटा ट्रांसफर करने के दौरान pendrive या बाहरी उपकरण प्रयोग से संक्रमित होने से आपका भी कंप्युटर संक्रमित हो सकता है।

6. अनजाने ईमेल एवं attachment के क्लिक करने पर संक्रमण हो जाता है।

7. पुराने अपडेट न कीये गए सॉफ्टवेयर मे कमियो की वजह से वायरस का संक्रमण होना आसान हो जाता है।

8.नेटवर्क सुरक्षा मे कमी से यदि आपका पासवर्ड बहुत स्ट्रॉंग नहीं है तो हैकर के लिए वायरस से संक्रमण कराना आसान हो जाता है।

9. पब्लिक वाइफ़ाई जैसे रेलवे स्टेशन, किसी कैफ़े, मेट्रो स्टेशन, या कोई भी ऐसे वाइफ़ाई जो सभी के लिए खुले हों उससे भी वाइरस आने की सम्भावना बध जाता है। 

कंप्युटर को वायरस से कैसे बचाएँ?

1. Antivirus– Antivirus का इस्तेमाल करके कंप्युटर को वाइरस से बचाया जा सकता है जो की आपको मार्केट से कुछ रुपए में मिल जाता है।

2. पॉप-उप विज्ञापन पर क्लिक ना करें– पॉप-उप पे क्लिक करने से अनवांटेड साइट्स खुल जाने की वजह से वायरस के आने का रास्ता आसान हो जाता है।

3. समय समय पर कंप्युटर सॉफ्टवेयर को अपडेट करते रहने से जो भी सॉफ्टवेयर की कमियाँ होती है वो पूरी होती रहती है जो वायरस से बचाने मे भी मदद करती है।

4. मजबूत पासवर्ड – एक मज़बूत पासवर्ड की मदद से जो सेंध आसानी से मारी जा सकती है उसमे अवरोध बनाता है। हमेशा पासवर्ड को दो लेयर का रखना चाहिए।

6. firewall का प्रयोग– यह भी एक तरह का एंटिवाइरस है जो डिवाइस को संक्रमित होने से बचता है। इसके बारे में किसी और पोस्ट विस्तृत रूप से जानेंगे। 

7. शेयर की गई फाइल एवं डाउनलोड की गई फाइल को पहले स्कैन करना- किसी भी अनौपचारिक वेबसाईट से कुछ भी डाउनलोड करें उसको स्कैन करने से वायरस से खतरा नहीं होता है, और आपका कंप्युटर बचता है।

8. ईमेल अटैच्मन्ट को स्कैन करना– कभी भी जब संदिग्ध लगे तो ईमेल अटचमेंट को क्लिक करने से बचे और इसके लिए एंटिवाइरस का उसे करें।

वैसे कुछ ऐंटिवायरस हैं जो सही हैं जैसे की NORTON, AVIRA, Mcafee, AVAST एंटिवाइरस के नाम है , जिसका इस्तेमाल कर के आप अपने फ़ाइल और डाटा को बचा सकते हैं लेकिन फिर भी आपको सतर्क रहना ही पड़ता है।

विंडो १० से ऊपर के सभी कंप्युटर जिसमें आप Window ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करते हैं उसमें डिफ़ेंडर नेम से पहले से ही एक एंटिवाइरस होता है आपको अलग से कुछ कोई भी एंटिवाइरस डालने की ज़रूरत नहीं होता।

 वायरस संक्रमण के मुख्य लक्षण 

जब आपका डिवाइस या कंप्युटर धीमा हो जाए पॉप-उप विंडो से कुछ अनचाही साइट्स खुलने लगे, अकाउंट logout, ब्राउजर सेटिंग मे चेंज, आइकान अजीब से प्रोग्राम खुद से चलने लगे, आदि चीज़े इसके लक्षण है और आपका सिस्टम वायरस से संक्रमित हो चुका है। और आपको देखने की ज़रूरत है की किस प्रकार का वाइरस और कहाँ से आया है, आप एंटिवाइरस के माध्यम से स्कैन कर के भी उसे हटा सकते हैं।

निष्कर्ष 

इस प्रकार हम देखते है की कंप्युटर वायरस एक ऐसा कंप्युटर रोग है जिससे आपकी सालों की मेहनत पर मिनटों में पानी फेर सकता है। आजकल इसका misuse हर जगह दिखाई दे जाता है। इससे बचाव का एक ही उपाय है की हम सतर्क रहे अपने पासवर्ड, एंटिवाइरस आदि को लगातार प्रयोग करते रहे। सॉफ्टवेयर का अपडेट के साथ-साथ नियमित बैकअप लेते रहे। दो स्तरीय प्रमाणीकरण रखें।

इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद भी अगर किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे बेझिजक पूछ सकते हैं। मैं जरुर उन Doubts को विस्तृत मैं आपको बताने की कोशिश करूँगा।

एस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद अगर आप Antivairus के बारे में थोड़ा भी समझ गए होंगे तो कृपया इस पोस्ट को सोशल मीडिया जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share ज़रूर करें।

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