gb-gib

GB (Gigabyte) और GiB (Gibibyte) में क्या अंतर हैं?

GB (गीगाबाइट) और GiB (गिबाइट) अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल कमीशन (IEC) द्वारा परिभाषित दो अलग-अलग डिजिटल डेटा स्टोरेज स्केल हैं। तो चलिए आज सबकुछ हिंदी में जानते हैं कि मेमोरी के मात्रक GB (Gigabyte) और GiB (Gibibyte) में क्या अंतर हैं? और GB और GiB होता क्या है?

आज हम सभी कंप्यूटर और स्मार्ट फ़ोन के आदि हो चुके हैं, और जब से कंप्यूटर और स्मार्ट फ़ोन मार्केट मैं उचित दामों में आया है तब से हम सभी अपने सभी चीज़ों को उसी में रखने लगे हैं।

पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो हमें कम से कम 50-100 संपर्क सूत्र (Contact numbers), हमें कुछ दिनों में क्या क्या करना है और किस दोस्त का जन्मदिन कब है सब चीज़ याद होता था और कोई भी पूछता था तो तुरंत जवाब दे देते थे लेकिन अब ऐसा बिलकुल नहीं रहा है। अब हमें छोटी सी छोटी चीज़ों के लिए मोबाइल या कंप्यूटर का सहारा लेना पड़ता है। और इन सब चीज़ों को कंप्यूटर और मोबाइल अपने पास सेव रखता है जिसे कंप्यूटर के भाषा में हम मेमोरी बोलते हैं।

GB (Gigabyte) और GiB (Gibibyte) क्या होता है?

डिस्क ड्राइव खरीदते समय, 1 जीबी को अक्सर 1,000,000,000 बाइट्स के रूप में बताया जाता है। हालांकि, जब

जब हम उसे अपने कंप्यूटर या अन्य डिजिटल देविके में लगते हैं तो जितना हमें बताया जाता है उससेय कम दिखायी पड़ता है। उदाहरण के लिए, एक नया 1 टीबी का हार्ड ड्राइव आपके कंप्यूटर में लगते हाई 931 जीबी (यह 931 GiB) का होता है।

GiB (गिबीबाइट्स) एक मानक इकाई है जिसका उपयोग डाटा प्रोसेसिंग और ट्रांसमिशन के क्षेत्र में किया जाता है और इसे आधार 1000 की बजाय आधार 1024 के रूप में परिभाषित किया जाता है।

उदाहरण के लिए 1 GB को 1000³ बाइट्स और वहीं 1 GiB को 1024³ बाइट्स बोला जाता है।

Unit of measureBytes
Kilobyte (KB)1000¹ = 1,000
Megabyte (MB)1000² = 1,000,000
Gigabyte (GB)1000³ = 1,000,000,000
Terabyte (TB)1000⁴ = 1,000,000,000,000
Petabyte (PB)1000⁵ = 1,000,000,000,000,000
 
Kibibyte (KiB)1024¹ = 1,024
Mebibyte (MiB)1024² = 1,048,576
Gibibyte (GiB)1024³ = 1,073,741,824
Tebibyte (TiB)1024⁴ = 1,099,511,627,776
Pebibyte (PiB)1024⁵ = 1,125,899,906,842,624

 गिबिबाइट का उपयोग कहाँ होता है?

कम्प्यूटिंग के शुरुआती दिनों में बहुत कम डाटा का प्रयोग होता था और तब इसकी भंडारण क्षमता अभी के मुक़ाबले बहुत कम हुआ करता था। लेकिन अब डाटा का उपयोग भारी मात्रा मैं होने लगा हहै और इसकी भंडारण के लिए भी हार्ड डिस्क की क्षमता मैं कमी आने लगी साथ ही एक ही प्रीफ़िक्स से दो इकाइयों को को सम्बोधित करने में गड़बड़ होने लगा।

हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) और सॉलिड-स्टेट ड्राइव (SSDD) की क्षमता को लेबल करते समय डिस्क ड्राइव निर्माताओं ने दशमलव प्रणाली का उपयोग करने के लिए एक तरीक़ा निकाला।

वैकल्पिक रूप से, ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) विक्रेताओं ने अक्सर कंप्यूटर मेमोरी और डेटा स्टोरेज क्षमता को मापने के लिए बाइनरी, पावर-ऑफ-टू सिस्टम का इस्तेमाल करने लगे।

नतीजतन, एक डिस्क ड्राइव निर्माता 100 GB की क्षमता वाला एक नया HDD बनाने लगे हालांकि, जब ग्राहक उस हार्ड ड्राइव को अपने कंप्यूटर में करता है, तो कंप्यूटर ओएस में केवल 93.13 जीबी क्षमता दिखायी देता है।

गिबिबाइट कितना बड़ा हो सकता है?

बायनरी डाटा क्षमता माप एक गिबिबाइट से छोटे होते हैं।

एक बाइट – एक GiB 1,073,741,824 बाइट्स से युक्त है।

एक kibibyte (KiB) – एक GiB 1,048,576 KiB से मिलकर बनता है।

एक mebibyte (MiB) – एक GiB 1,024 MiB से मिलकर बनता है।

कुछ द्विआधारी डेटा क्षमता माप, जो एक गिबिबाइट से बड़े होते हैं, में शामिल हैं:

एक टेबीबाइट (TiB), जो एक GiB के आकार का 1,024 गुना है।

एक पेबीबाइट, जो एक GiB के आकार का 1,048,576 गुना है।

एक एक्सिबिबाइट जो एक GiB के आकार का 1,073,741,824 गुना है।

GB (Gigabyte) और GiB (Gibibyte) में अंतर:

एक गिबिबाइट और एक गीगाबाइट को कभी-कभी समानार्थक शब्द के रूप में उपयोग किया जाता है, हालांकि तकनीकी रूप से दोनों अलग होते हैं। हालांकि, ये आकार में काफ़ी करीब होते हैं। एक गिबिबाइट 230 या 1,073,741,824 बाइट्स के बराबर होता है  और एक गीगाबाइट 109 या 1,000,000,000 बाइट्स के बराबर होता है। एक gibibyte 1.074 गीगाबाइट के बराबर होता है। दोनों में लगभग 7% की भिन्नता होता है।

आशा है कि आप GB (Gigabyte) और GiB (Gibibyte) के बारे सबकुछ हिंदी में समझ गए होंगे।

हमारे बीच ऐसे कई बच्चे, नौजवान होंगे जिन्हें GB (Gigabyte) और GiB (Gibibyte)के बारे में पता नहीं होगा और इसके बारे समझ नहीं पा रहे होंगे कृपया उनकी मदद के लिए इस पोस्ट को उनलोगों तक ज़रूर पहुचाएँ जससे की उनकी ज्ञान मैं वृधि हो सके और अच्छे से समझ सकें।

इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद भी अगर किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे बेझिजक पूछ सकते हैं।

मैं जरुर उन Doubts को विस्तृत मैं आपको बताने की कोशिश करूँगा।

एस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद अगर आप GB (Gigabyte) और GiB (Gibibyte)के बारे में थोड़ा भी समझ गए होंगे तो कृपया इस पोस्ट को सोसल मीडिया जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share ज़रूर करें।

कृपया शेयर करें
domain-name

डोमेन नाम क्या होता है? इसका काम क्या है और वेबसाइट के लिए क्यूँ ज़रूरी है?

जैसा कि पोस्ट का टाइटल से पता चल रहा है कि आज हम डोमेन नाम और इससे जुड़े कुछ अनसुने तथ्य के बारे में जानने वाले हैं। डोमेन नाम क्या है, डोमेन कितने प्रकार के होते हैं, वेबसाइट के लिए ये ज़रूरी क्यूँ है, डोमेन नाम कौन देता है और आप कहाँ से ले सकते हैं, डोमेन नाम कैसे चुने और इसका अच्छा तरीक़ा क्या है। 

ये सारी चीज़ें हम आज इस पोस्ट में जानने वाले हैं। ये पोस्ट थोड़ा लम्बा ज़रूर होगा लेकिन हम ये कोशिश करते हैं की आपको पूरी जानकारी मिले आधी अधूरी जानकारी बहुत हाई ख़तरनाक होती है, तो पोस्ट के अन्त तक बने रहिए। तो बिना देर किए चलिए सबकुछ हिंदी में जानते हैं डोमेन नाम के बारे में।

डोमेन का नाम सुन के आपको कुछ और सोचने की ज़रूरत नहीं है, आप सीधी भाषा में समझिए की आपके गाँव या मुहल्ले में या आपके घर में ही कोई पूरे परिवार के सदस्यों का कुछ ना कुछ नाम होता ही है, बिना नाम के कोई नहीं होता और नाम के साथ साथ सभी का नाम अलग अलग होता है ताकि किसी को बुलाने में कोई परेशानी ना हो, सोचिए अगर एक नाम का कोई दो सदस्य एक हाई जगह पे रहेंगे तो बात बात पे परेशानी होगी, कभी अपने श्याम को बुलाया और दो श्याम आ गए तो वहाँ पे परेशानी आ सकती है।

डोमेन या DNS (डोमेन नाम सिस्टम) नाम क्या होता है?

जैसा ऊपर एक उदाहरण के द्वारा आप समझ गए होंगे की आख़िरकार डोमेन होता क्या है लेकिन चलिए टेक्निकल और कम्प्यूटर के भाषा में बताते हैं की डोमेन क्या है।

कभी भी गूगल पे आप कुछ भी चीज़ें सर्च करते हैं तो वो आपको गूगल पे दिखता है लेकिन जब आपको उसके बारे में विस्तृत जानकारी लेनी होती है तो आप उसपे क्लिक करते हो क्लिक करते ही एक वेब पेज खुलता है जो किसी ना किसी डोमेन नाम से खुलता है, बिना डोमेन नाम का कोई भी वेबसाइट आपको गूगल पे नहीं दिख सकता।

अगर साधारण भाषा में बोले तो डोमेन एक ऐसा नामकरण है जिससे हम किसी भी वेबसाइट को इंटरनेट पर ढूँढ सकते हैं। सभी वेबसाइट किसी ना किसी IP ऐड्रेस (इंटेरनेट प्रोटोकोल ऐड्रेस) से जुड़ी होती है जो वेब ब्राउज़र को बताता है कि वेबसाइट इंटेरनेट मैं कहाँ मौजूद है।

“प्रत्येक डोमेन नाम यूनिक होता है, हर वेबसाइट का डोमेन नाम अलग अलग होता है। एक डोमेन नाम कभी भी दो वेबसाइट का नहीं हो सकता। “

डोमेन नाम से पहले लोग IP ऐड्रेस से किसी भी वेब पेज को खोलते थे लेकिन हम इंशान को नम्बर से ज़्यादा नाम याद रखने में आसानी होती है उसके बाद कॉन्सेप्ट आया डोमेन नाम का जो की सीधे तौर पर IP ऐड्रेस से जुड़ा होता है। एक IP ऐड्रेस पे कई सारे डोमेन चल सकता है।

डोमेन नाम कितने प्रकार के होते हैं?

अगर देखें तो डोमेन नाम बहुत प्रकार के होते हैं लेकिन कुछ महत्वपूर्ण प्रकार जो ज़्यादातर प्रयोग में होते हैं उसके बारे में हम इस पोस्ट में जानेंगे ताकि आपको डोमेन नाम चुनने में कभी परेशानी ना हो और अछी तरह सोच समझ के आप अपने डोमेन नाम ख़रीद सकें।

  1. TLD (Top Level Domains):

TLD डोमेन बहुत ही ख़ास होते हैं। डोमेन नाम का जो आख़िरी का हिस्सा होता है (डॉट के बाद वाला हिस्सा) से ही हमें ज्ञात होता है की डोमेन किस टाइप का है।

ये हाइएस्ट रैंक डोमेन होते हैं और कम्पनीज़ द्वारा इसे ज़्यादा दामों मैं और कुछ ख़ास फ़ीचर के साथ बेचा जाता है। जैसे आप अगर TLD डोमेन लेते हो तो आपको एक पराइवेसी मतलब डोमेन ख़रीदने वाले का नाम पता कब ख़रीदा गया और इसकी अंतिम तिथि कब तक का है ये सब हटाने का ऑप्शन मिलता है जिससे कि आपके डोमेन के डाटा का कुछ ग़लत प्रयोग ना हो, बाक़ी दूसरे प्रकार के डोमेन में ये ऑप्शन नहीं मिलते हैं।

TLD डोमेन बहुत ही छोटे होते हैं जिससे कि लोग आसानी से याद रख सके। गूगल भी TLD को पूरे विश्व भर में  रैंक करने में प्राथमिकता देता है। ये डोमेन थोड़े महँगे होते हैं, और Rs. 1000/- या इससे ऊपर में आपको मिल जाएगा, लेकिन अगर इसके साथ आप अगर एक्स्ट्रा फ़ीचर लेते हैं तो ज़्यादा भी लग सकता है।

TLD के कुछ उदाहरण जिसे आप अपने व्यवसाय या अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए ख़रीद सकते हैं।

  • .com (Commercial)
  • .org (Organization)
  • .net (Network)
  • .gov (Government)
  • .edu (Education)
  • .name (Names)
  • .biz (Business)
  • .info (Information)

  • CCTLD (Country Code TLD):

जैसे की नाम से ही पता चल रहा है कि ये किसी देश को प्रदर्शित करता है। ऐसे डोमेन किसी देश के दो अक्षरों को मिलकर बनाया जाता है।

ऐसे डोमेन जब आप किसी एक देश को टार्गेट कर के या किसी एक देश में व्यवसाय करना हो तो उसके लिए ज़्यादा अच्छा माना जाता है और गूगल भी उस देश में इसे प्राथमिकता देता है।

ऐसे डोमेन नाम TLD से सस्ते होते हैं जबकि इसमें कुछ भी अतिरिक्त फ़ीचर का ऑप्शन नहीं मिलता है। CCTLD डोमेन आपको Rs. 600-700/- तक में मिल जाता है और कुछ डोमेन प्रवाइडर इसे ओर सस्ते दामों में दे देते हैं।

CCTLD के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।

  • .in (India)
  • .us (United states)
  • .uae (Unites Arab Emirates)
  • .cn (China)
  • .ru (Russia)

Sub Domain नाम क्या होता है?

सब डोमेन/उप डोमेन का मतलब ही है कि किसी के सहायता को लेकर एक डोमेन नाम बनाना। सब डोमेन आप       किसी भी डोमेन का बना सकते हैं चाहे TLD हो या CCTLD और ये बिलकुल मुफ़्त होता है किसी को कोई पैसे नहीं देने पड़ते हैं। सब डोमेन बनाने का तरीक़ा भी बिलकुल आसान है ये आपके जो प्रमुख डोमेन नाम मतलब जो TLD/CCTLD होते हैं उसके आगे सबडोमेन नाम के बाद एक डॉट लगाया जाता है और फिर आपका डोमेन नाम तो लो जी आपका सब डोमेन/उप डोमेन तैयार है। उदाहरण के लिए

 www.google.com  एक डोमेन है लेकिन अगर इसके आगे हम कुछ भी लिखते हैं और उसके बाद डॉट लगाते हैं तो वो एक सबडोमेन बन जाता है जैसे कि www.en.google.com, इसमें जो “en.” है वो एक सबडोमेन है।

डोमेन नाम कौन देता है और आप कहाँ से ले सकते हैं?

देखिए डोमेन नाम आपके वेबसाइट के लिए बहुत हाई ज़रूरी और प्राथमिकता वाली चीज़ है इसका होना बहुत हाई ज़रूरी है बिना डोमेन के आप अपने वेबसाइट को इंटेरनेट पर दल नहीं सकते हैं तो जायज़ सी बात है कही से तो ये मिलता होगा या कोई तो बेचता होगा।

हाँ! आप सही सोच रहे हैं डोमेन नाम बेचने वाली बहुत सारी कोंपनियाँ है और वो कम्पनीज़ भी छोटे छोटे वेंडर के तहत डोमेन को बेचती है।

अगर आप भी अपने से डोमेन नाम ख़रीदना चाहते हैं तो नीचे सूची में किसी से भी खरीद सकते हैं सभी अच्छे वितरक है।

डोमेन वितरक चुनने के भी कई तरीक़े होते हैं, इसपे हम दूसरा पोस्ट डालेंगे अभी ये पोस्ट बहुत ज़्यादा लम्बा हो आएगा।

ICANN (The Internet Corporation of Assigned Names and Numbers) एक ऐसी संस्था है जो पूरे विश्व भर में कोई भी डोमेन बेचने वाली संस्था को डोमेन बेचने की अनुमति देता है।“

डोमेन नाम कैसे चुने और इसका अच्छा तरीक़ा क्या है?

डोमेन नाम चुनने के कुछ आसान टिप्स हैं जिससे आप अपना डोमेन सही से चुन पाएँ एर वो डोमेन नाम आपके व्यवसाय  को आगे बढ़ाने में मदद करे।

  1. जब भी आप अपना डोमेन का चुनाव करें तब हमेशा छोटा डोमेन नाम चुनें जो आपको याद रखने में आसानी हो।
  2. डोमेन नाम की पहली प्राथमिकता TLD वाले डोमेन ही रखें क्यूँकि वो छोटे होते हैं और याद रखने में आसानी होती है।
  3. आपका डोमेन नाम हमेशा आपके व्यवसाय से मिलता जुलता होनी चाहिए या आपके कम्पनी के नाम का होना चाहिए ज़्यादा अच्छा होता है।
  4. हमेशा यूनिक डोमेन नाम का चुनाव कीजिए जो की किसी दरे से मिलता जुलता ना हो नहीं तो यूज़र को आपका वेबसाइट ढूँढने में परेशानी हो सकती है।
  5. कोशिश करें कि TLD डोमेन लेते समय अगर CCTLD डोमेन है तो उसे भी ख़रीद लें नहीं तो आपके प्रतियोगी उसे ख़रीद के यूज़र को व्यवधान में डाल सकता है।
  6. जब भी डोमेन नाम ख़रीदे तो ये सुनिस्चित करें कि कोई स्पेशल अक्षर या नम्बर ना हो ये गूगल में रेंक करने में परेशानी करता है।

ऊपर दिए गए सभी points आपको अपने व्यवसाय के लिए एक अच्छा डोमेन ख़रीदने में मदद करेगा।

आशा है कि आप डोमेन नाम क्या है, डोमेन कितने प्रकार के होते हैं, वेबसाइट के लिए ये ज़रूरी क्यूँ है, डोमेन नाम कौन देता है और आप कहाँ से ले सकते हैं, डोमेन नाम कैसे चुने और इसका अच्छा तरीक़ा क्या है ये सारी चीज़ों के बारे सबकुछ हिंदी में समझ गए होंगे।

मुझे आप सभी पाठकों से निवेदन हाई की हमारे बीच ऐसे कई बच्चे, नौजवान या व्यवसायी जो अपनी वेबसाइट बनवाना चाह रहे होंगे जिन्हें डोमेन नाम के बारे में पता नहीं होगा या सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे होंगे उन्हें ज़रूरत होगा हिंदी में डोमेन नाम के बारे में जानने का।

कृपया उनकी मदद के लिए इस पोस्ट को उनलोगों तक ज़रूर पहुचाएँ जससे की उनकी ज्ञान मैं वृधि हो सके और अच्छे से समझ सकें। मुझे भी आप सब की सहयोग की बहुत आवश्यकता है जिससे कि कम्प्यूटर और इंटेरनेट से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी हिंदी में आप सब तक पहुँचा सकूँ।

इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद भी अगर किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे कॉमेंट में बेझिझक पूछ सकते हैं। मैं जरुर उन Doubts को विस्तृत मैं आपको बताने की कोशिश करूँगा।

इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ने के लिए और लोगों तक पहुँचाने के लिए धन्यवाद!!

कृपया शेयर करें
computer kya hota hai

Computer क्या है? और इसका उपयोग क्या है?

Computer तो हम सब ने देखा ही होगा और मन में सवाल भी आता होगा की ये क्या है जिसमें कुछ अलग अलग तरीक़े के Device होते हैं और हमारे किसी भी काम को आसान कर देते हैं।

हमने किताबों में पढ़ा होगा लेकिन कहीं ना कहीं कुछ चीज़ें समझ में नहीं आता है और हमें Computer के बारे में आधी अधूरी जानकरियाँ ही मिल पाती है। तो चलिए अपनी जानकारी बढ़ाते हैं और सब कुछ हिंदी बोले तो आसान भाषा में समझते हैं।

Computer को हिंदी में संगणक और परिकलक भी कहा जाता है, यह एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो तीव्र गति से बिना ग़लती किए हुए कार्य करता है, यह अंग्रेजी शब्द “Compute” से लिया गया है जिसका अर्थ गणना करना है।

वस्तुतः एसेय एक अभिकलक यंत्र (Programmable machine) भी बोला जता है जो दिये गये गणितीय तथा तार्किक काम को क्रम से स्वचालित रूप से करने में सक्षम है। इसे अंक गणितीय, तार्किक क्रियाओं व अन्य विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सटीकता से पूर्ण करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से निर्देशित किया जा सकता है।

Computer का फूल फ़ॉर्म:

 

वैसे तो Computer का कोई तकनीकी फूल फ़ॉर्म नहीं होता लेकिन कुछ लेखक के अनुसार इसका फूल फ़ॉर्म Common Operating Machine Purposely Used for Technological and Educational Research है। जिसे हिंदी में हम बोल सकते हैं एक ऐसा ऑपरेटिंग मशीन जिसे ख़ास तौर पे तकनीकी अनुसंधान और शिक्षा के लिए उपयोग किया जाता है।

 

कंप्यूटर के आविष्कारक/जनक कौन हैं:

चार्ल्स बैबेज एक अंग्रेजी बहुश्रुत थे वह एक गणितज्ञ, दार्शनिक, आविष्कारक और यांत्रिक इंजीनियर थे, जो वर्तमान में सबसे अच्छे कंप्यूटर प्रोग्राम की अवधारणा के उद्धव के लिए जाने जाते हैं या याद किये जाते है चार्ल्स बैबेज को “कंप्यूटर का पिता”(फादर ऑफ कंप्यूटर ) माना जाता है।

 

कंप्यूटर का उपयोग:

वैसे आज के समय में कंप्यूटर का उपयोग सभी जगह होता है लेकिन कुछ मुख्य रूप से इसका अधिक उपयोग व्यापार, शिक्षा, बैंकिंग, हॉस्पिटल, रेलवे, एंजिनीरिंग, Science और मनोरंजन के क्षेत्र में होता है। इसका उपयोग बहुत सारे सूचनाओं को प्रोसेस करने तथा इकट्टा करने के लिए होता है।

कंप्यूटर के उपयोग के बारे मैं हम अगले ब्लॉग में विस्तृत रूप में समझेंगे।

 

कंप्यूटर के बारे में आप और क्या जानना चाहते हैं हमें कॉमेंट सेक्शन मैं ज़रूर बताएँ! और अगर यह आपको पसंद आया हो या कुछ सीखने को मिला हो तो अपने दोस्तों को भी बताएँ और सोशल मीडिया में Share करें।

RELATED ARTICLES

one-nation-one-election

One Nation One Election क्या है और कैसे लागू होगा एक देश में एक चुनाव?

भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में से एक 'एक राष्ट्र एक चुनाव' को लेकर हाल ही में बड़ी प्रगति हुई है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक ...

कृपया शेयर करें
mouse

Mouse क्या होता है?

एस ब्लॉग मे हम जानेंगे की Mouse क्या होता है? और कितने प्रकार का होता है? अगर हमने कंप्यूटर का प्रयोग किया है तो अपने एक छोटा सा device ज़रूर देखा होगा जो बहुत सारे रंग के होते हैं लेकिन अधिकांश काले रंग के प्रयोग में होते हैं।

अब ये मत पूछना की काले रंग के ही ज़्यादातर प्रयोग में क्यूँ होते हैं, ये तो प्रयोग करने वाले के पसंद पे निर्भर करता है की किस रंग के उन्हें  पसंद है लेकिन हम यहाँ mouse के रंग कर बारे बात नहीं करेंगे हमें आज जानना है कि mouse क्या होता है, इसको किसने बनाया, ये काम कैसे करता है, Mouse का फ़ुल फ़ॉर्म क्या है, ये कितने प्रकार के होते हैं और कुछ ऐसे तथ्य जो शायद हमने पहले कभी नहीं सुना और पढ़ा हो। तो बिना देर किए चलिए समझते हैं सबकुछ हिंदी में।

माउस क्या है- What is Mouse in Hindi

कंप्यूटर के साथ बात चित्त करने में माउस का एक महत्वपूर्ण योगदान है, ये बहुत सारी चीज़ों को आसान बना देता है, हालाँकि जो चीज़ें हम माउस से करते हैं उसे कीबोर्ड से भी कर सकते हैं लेकिन उसे करने में बहुत ज़्यादा समय लगेगा और बहुत आसानी से नहीं हो पाएगा इसीलिए हम माउस का प्रयोग करते हैं।

Mouse एक Pointing device है जिसका उपयोग मुख्य रूप से कंप्यूटर स्क्रीन पर किसी भी काम को खोलने, बंद करने, चुनने और उसके बारे में जानने के लिए किया जाता है।

माउस का ज़्यादा उपयोग ग्राफ़िक डिज़ाइन या कंप्यूटर पे चित्र बनाने में होता है और उसके बिना डिज़ाइन होता नहीं है। माउस एक Input Device होता है जो कंप्यूटर को उसके स्क्रीन पर कुछ भी काम करने का आदेश देता है। यह विशेषकर चियोसा (ग्राफिकल यूज़र इन्टरफेस) के लिए महत्वपूर्ण है।

कंप्यूटर माउस के जनक किसे माना जाता है?

Mouse को Originally X-y Position Indicator कहा जाता है। डगलस एंजेलबर्ट (Douglas Engelbart) ने सन 1963 में माउस का अविष्कार किया था, उस समय डगलस Stanford Research Institute में कार्य करते थे।

ऑप्टिकल माउस काम कैसे करता है?

हमने तो ये समझ लिया की माऊस होता क्या है और एसके जनक कौन हैं अब ये काम कैसे करता है इसके कुछ ऐसी चीज़ें जो अपने कहीं पढ़ा नहीं होगा।

एक ऑप्टिकल माउस पूरी तरह से अलग तरीके से काम करता है। यह माउस के निचले भाग में लगे एक एलईडी (प्रकाश उत्सर्जक डायोड) से आपके डेस्क पर एक चमकदार रोशनी को चमकता है। प्रकाश डेस्क से एक photocell (फोटोइलेक्ट्रिक सेल) में सीधे ऊपर उछलता है, यह भी माउस के नीचे एलईडी से थोड़ी दूरी पर लगा होता है।

photocell में इसके सामने एक लेंस होता है जो परावर्तित प्रकाश को बढ़ाता है, इसलिए माउस आपके हाथ के गतिविधि का अधिक सटीक उत्तर देता है।

जैसे ही आप माउस को अपने डेस्क के चारों ओर घुमाते हैं, परावर्तित प्रकाश का पैटर्न बदल जाता है, और माउस के अंदर की चिप यह पता लगाने के लिए उपयोग करती है कि आप अपना हाथ कैसे चला रहे हैं।

कुछ ऑप्टिकल माउस में दो एलईडी होते हैं। पहला डेस्क पर हल्का चमकता है, उस प्रकाश को photocell द्वारा उठाया जाता है। दूसरा एलईडी माउस के पीछे एक लाल प्लास्टिक की पट्टी को रोशनी देता है ताकि आप देख सकें कि यह काम कर रहा है।

अधिकांश ऑप्टिकल माउस में भी सामने की तरफ एक पहिया होता है जिससे आप पृष्ठों को स्क्रीन पर बहुत तेजी से स्क्रॉल कर सकते हैं। आप पहिया को भी क्लिक कर सकते हैं, इसलिए यह पारंपरिक बॉल माउस पर तीसरे (केंद्र) बटन की तरह कार्य करता है।

Mouse का फ़ुल फ़ॉर्म क्या है?

माउस का फुल फॉर्म Manually Operated Utility For Selecting Equipment होता है।

माउस को हिंदी में हम कुछ इस तरह बोल सकते हैं “उपकरण के चयन के लिए मैन्युअल रूप से संचालित उपयोगिता“।

माउस के प्रकार – Types of Mouse in Hindi

आजकल मार्केट मैं बहुत प्रकार के माउस उपलब्ध होते हैं और सभी के फ़ीचर्ज़ अलग होते हैं। लेकिन नीचे कुछ इमपोर्टेंट प्रकार के माउस के बारे में समझते हैं।

Corded Mouse

Corded mouse को कंप्यूटर के साथ डिरेक्ट्ली via USB केबल (serial, PS/2 or USB) द्वारा connect किया जाता है। ये अपने operation के लिए power उसी पोर्ट से लेता है जिससे ये connected होता है, इसका मतलब है की इसमें external batteries की कोई जरुरत ही नहीं है.

Corded माउस ज़्यादातर accuracy वाले होते हैं क्यूंकि उन्हें ज्यादा कोई issue नहीं होती है जैसे की signal interference या performance loss low-battery states का।

Cordless/Wireless Mouse

जैसा कि नाम से ही समझ में आता है “कॉर्ड्लेस या वायरलेस” मतलब बिना कोई कोड या वायर जैसे की USB केबल (serial, PS/2 or USB) के बिना काम करता है। ये कंप्यूटर से कनेक्ट और उसे डाटा भेजने के लिए वायरलेस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करता है। इस माउस को इस्तेमाल करने के लिए बैटरी की ज़रूरत होती है।

वायरलेस माउस आजकल ज़्यादा देखा जाता है, ये Corded माउस के मुक़ाबले थोड़ा महँगा ज़रूर होता है लेकिन इसके फ़ायदे भी बहुत होते हैं। जैसे की आप अपने desktop से कम से कम 10 मीटर की दूरी से भी काम कर सकते हैं, कंप्यूटर में बहुत सारे device लगाने के बाद पूरा डेस्क वायर से भर जाता है इससे वायर कम होगा, CPU में लिमिटेड USB पोर्ट होते हैं वायरलेस माउस के उपयोग करने से आपका पोर्ट फ़्री हो सकता है।

Mechanical Mouse/Ball Mouse

यह एक Heavy माउस होता है जो कि थोड़ी पुरानी टेक्नॉलजी पे काम करता है और ज़्यादातर Corded होते हैं। यह ज़्यादातर इलेक्ट्रिकल और Mechanical कम्पनियों में देखा जाता है।

इसमें एक बॉल होता है और रोलर होते है जो कि movements को ट्रैक करने के लिए काम में आता है।

इसकी पर्फ़ॉर्मन्स बहुत अच्छी होती है लेकिन समय समय पर सफ़ाई की ख़ास ज़रूरत होती है।  

Optical Mouse

यह माउस एक बहुत ही पोपुलर क़िस्म है, जो कि  गतिविधि को ट्रैक करने के लिए optical electronics का इस्तेमाल करती है। ये दूसरे क़िस्म की तुलना में ज़्यादा भरोसेमंद होता है इसके साथ साथ इसमें मेंट्नेन्स की भी कम ज़रूरत पड़ती है।

इसकी पर्फ़ॉर्मन्स अछी होने के लिए एकदम साफ़ और समतल surface की ज़रूरत होती है, जिसके लिए माउस पेड एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

Trackball Mouse

ट्रैक्बॉल माउस, माउस का एक पूरनी क़िस्म है जो कि बहुत पुराने तकनीक पे काम करता है। इसका काम करने का तरीक़ा सब से अलग है, इसमें एक बॉल लगा होता है जो कि सेन्सर की तरह काम करता है ये रबर बॉल ऊपर की तरफ़ होता है जो कि कर्सर/माउस पोईंटर को घुमाने में मदद करता है।

माउस के टचपैड को क्या कहते हैं?

Mouse के touchpad को Trackpad, glide pad, glide point इत्यादि कहा जाता है.

Touchpad क्या होता है?

जब हम कोई laptops या आधुनिक तकनीकी वाले कम्प्यूटर्स का उपयोग करते हैं तो हम बिना माउस के सब काम करने मैं सक्षम होते हैं लेकिन हमें ये पता होना चाहिए की laptops मैं Touchpad तकनीक और desktops मैं Touch screen तकनीक काम करता है। और दोनों माउस की तरह ही काम करता है और इसके इस्तेमाल के लिए हम अपने उँगलियों का उपयोग करते हैं। इसे हम माउस का एकदम updated version भी बोल सकते हैं।

आशा है कि आप माउस क्या है (What is Mouse in Hindi) और ये कितने प्रकार के होते हैं? के बारे सबकुछ हिंदी में समझ गए होंगे।

हमारे बीच ऐसे कई बच्चे, नौजवान होंगे जिन्हें माउस के बारे में ठीक से पता नहीं होगा और इसके बारे समझ नहीं पा रहे होंगे कृपया उनकी मदद के लिए इस पोस्ट को उनलोगों तक ज़रूर पहुचाएँ जससे की उनकी ज्ञान मैं वृधि हो सके और माउस के बारे मैं अच्छे से समझ सकें।

इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद भी अगर किसी भी तरह की कोई भी doubt है तो आप मुझे बेझिजक पूछ सकते हैं।

मैं जरुर उन Doubts को विस्तृत मैं आपको बताने की कोशिश करूँगा।

एस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद अगर आप माउस के बारे में थोड़ा भी समझ गए होंगे तो कृपया इस पोस्ट को सोसल मीडिया जैसे कि Facebook, Twitter इत्यादि पर share ज़रूर करें।

कृपया शेयर करें